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हिन्दू धर्म की प्रमुख पुस्तकें
"भगवद गीता" -
"भगवद गीता" हिन्दू धर्म की एक प्रमुख पुस्तक है, जो महाभारत के एक अंश में प्राप्त होती है। इस पुस्तक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को धर्म, कर्तव्य, जीवन के मूल सिद्धांत, और आत्मा की महत्वपूर्णता के बारे में उपदेश देते हैं। "भगवद गीता" एक अध्यात्मिक ग्रंथ है जो जीवन के अनेक मुद्दों पर विचार करता है और मानव जीवन को मार्गदर्शन देने का प्रयास करता है।"सुन्दरकाण्ड पाठ" हिंदी -
"सुन्दरकाण्ड पाठ" हिंदी में भगवान श्रीराम के महाकाव्य "रामायण" के एक अंश को कहा जाता है। यह कथात्मक अध्याय भगवान हनुमान की महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित है, जिन्होंने लंका प्राप्त करने और सीता माता को बचाने के लिए विशेष यात्रा की। "सुन्दरकाण्ड" का पाठ करने से भक्ति और शक्ति में वृद्धि होती है, और इसे ध्यान में रखते हुए एक विशेष उपासना अवसर के रूप में किया जाता है।
"सुन्दरकाण्ड पाठ" को विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध किया जाता है और भक्तों द्वारा नियमित रूप से पाठ किया जाता है। यह भगवान श्रीराम के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अभियान है जो उनके आध्यात्मिक और आधार्मिक विकास में सहायक होता है।
"गरुड़ पुराण" हिंदी
"गरुड़ पुराण" हिंदू धर्म के पुराणों में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के द्वारा उनके आदिपुरुष ब्रह्मा से प्राप्त ज्ञान का संक्षिप्त रूप है। "गरुड़ पुराण" में भगवान विष्णु के अवतारों, धर्म, कर्म, प्रेतात्माओं की कथाएं, उपासना, आदि के विषय में विस्तारपूर्ण जानकारी दी गई है।
इस पुराण में भगवान गरुड़ के माध्यम से अनेक महत्वपूर्ण ज्ञान और उपदेश प्रस्तुत किए गए हैं, जो आध्यात्मिक और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। "गरुड़ पुराण" के माध्यम से मनुष्य अपने जीवन को धार्मिक, नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्राप्त करता है।
यह पुराण अनेक अध्यायों में विभाजित होता है और विभिन्न विषयों पर विस्तृत विचार देता है। "गरुड़ पुराण" को अध्ययन करके व्यक्ति अपने जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को मजबूती से अपना सकता है।
"शिवताण्डवस्तोत्रम्"
"शिवताण्डवस्तोत्रम्" एक प्रसिद्ध आराधना गीत है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस स्तोत्र का मूल रूप संस्कृत भाषा में है और इसके शब्दों के माध्यम से शिव के विभिन्न रूपों, महत्वपूर्णता और महाकाव्यकारण की महिमा का वर्णन किया गया है।
"शिवताण्डवस्तोत्रम्" के शब्द और ताल का आदान-प्रदान आर्यभट्ट, राजा भोज और अन्य विद्वानों के द्वारा किया गया है। यह स्तोत्र शिव के नृत्य और तांडव की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और शिव की उपासना करने वालों के द्वारा अनुष्ठानिक रूप में बड़े श्रद्धाभाव से पढ़ा जाता है।
यह स्तोत्र शिव के विभिन्न गुणों, शक्तियों और रूपों की महिमा का उद्घाटन करता है और उनकी महाकाव्यकारण की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। "शिवताण्डवस्तोत्रम्" का पाठ करने से श्रद्धालु शिव के प्रति अपनी आदर्श भावना को प्रकट करते हैं और आत्मा को शांति और उद्धारण की ओर प्राप्त करते हैं।
शिव चालीसा
शिव चालीसा (Shiv Chalisa) हिंदी में भगवान शिव की महिमा और गुणों की महत्वपूर्ण चालीसा है। यह चालीसा शिव के भक्तों द्वारा पढ़ी जाती है और उनकी उपासना में उपयोगी होती है। इस चालीसा के माध्यम से भगवान शिव के विभिन्न नामों, स्वरूपों और महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है।
"रिग्वेद संहिता"
"रिग्वेद संहिता" (Rigveda Samhita) हिंदू धर्म के चार वेदों में से एक वेद है और यह सबसे पुराना और महत्वपूर्ण वेद माना जाता है। यह वेद संस्कृत भाषा में लिखा गया है और भारतीय संस्कृति, धर्म, और दर्शन की मूलभूत जानकारी प्रदान करता है।
"रिग्वेद संहिता" का भाग "श्रुति" में आता है, जिसे दिव्य ज्ञान के स्रोत के रूप में माना जाता है। यह वेद विभिन्न मंडलों में विभाजित होता है, जिनमें प्रत्येक मंडल कई सूक्तों (छंदों) से मिलकर बनता है। "रिग्वेद संहिता" में भगवान के प्रति भक्ति, यज्ञ, धर्म, सृष्टि, आत्मा, प्राकृतिक विशेषताएं, और जीवन के मुद्दे आदि के विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
इसके अनुसार, रिग्वेद में कुल 10,552 सूक्त (छंद) होते हैं, जिनमें लगभग 1,028 सूक्तों में ऋग्वेदीय संकेतों के साथ मन्त्रों का उद्घाटन होता है जो देवताओं, ऋषियों और ब्रह्मा के प्रति श्रद्धा एवं उपासना को व्यक्त करते हैं।
"रिग्वेद संहिता" भारतीय संस्कृति के आदिकाल से संबंधित महत्वपूर्ण ज्ञान और उपदेश प्रदान करती है और यह वेद हिंदू धर्म के मूलभूत तत्वों का अध्ययन करने का महत्वपूर्ण स्रोत है।
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